कंगना खनकते रहेंगे. तुम फुकटमें परेशान होते रहिंगे.

पिच्चर गिच्चर देखने वालेकू कंगनकू कंगना बोलते इत्ता तो मालुमीच रहता. पिक्चरकी वजेसे कंगना का घोटाला हो गया. पहले कंगना सौभाग्य वगैराका लक्षण माने जाते थे. ये बॉलीवूड वालोंने पुरी वाट लगा डाली. पहले कंगना सिर्फ हाथ में पह्नानेके कामके थे. पिक्चरवालोंने कंगनाकू भलतेच कामपे लगाया.

बोलेतो कंगनाकी खनखन शुरू हो गई.

मतलब औरतकी तरफ उसका मर्द ध्यान नहीं देरा हुंगा तो वो कंगना बजाने लगी. कंगनकी खनक, कंगन की खनखन, बोले चुडिया बोले कंगना …ऐसे गाने शुरू हो गये.

पहले कंगना देखनेकी चीज होती थी. आपुन लोगोंकी हिस्ट्रीमें जाईंगे तो कंगनाने हमेशासे मर्दोंको डिस्टर्ब करनेका काम कियेला है. छोटे छोटे घरोंमें मिय्या बिवीकु प्रायव्हसी मिली तो कंगना भोत आवाज करते थे. चालमेंतो भोत सारे बच्चे कंगनाकी आवाज सुनाई दी तो मनमें सोचते थे कुछ तो लोचा है. भोत सारे लोगोंके हाथ पर टूटेवाले कंगनकी निशाणी होती थी हनिमूनके बाद. और कुछ लोग तो जान बुझकर दिखातेभी थे.

बंबईके लोगोंकू कंगना बोलेतो गोवाच याद आता.

गोवामें वो नई नई शादी हुयेवाली रहती वो लडकीयां हाथभर लाल चुडिया पहनके आती. हनिमूनके वास्ते. दो सफेद चुडियामें हे बीस पचीस लाल कंगना. बादमें पता चला भोत सारी लडकीया तो बिना शादीकीच सिर्फ चुडिया पहनके आती हैं. होटल वालाबी पुछता नहीं. उसकू लगता शादीशुदा है. ऐसा कंगनाकी वजहसे मिसगाईडबी भोत होते लोगा.

पहले सिर्फ काचके कंगन रहनेके. बादमें प्लास्टिकके आने लगे. अब काच के कंगनाकी जो प्यारी आवाज थी वो प्लास्टिकके कंगनाकू कहांसे आईंगी? जमानेके हिसाबसे कंगनामें बदलाव आ गया.. आवाज बदल गई. कांचके कंगनामें जो अदब सुनाई देती थी वो प्लास्टिकके कंगनामें कहांसे सुनाई देंगी?

हिंदीमें एक कहावत हैं सुनीच हुंगी तुमने. हाथ कंगन को आरसी क्या? बोलेतो हाथमेके कंगना देखनेकू आयना कायकू? कंगना हाथमें रहते. उसकी क्वालिटी समझनेकु आयना नहीं लगता. इन शोर्ट पुराने लोगा बडी कामकी बात बोलके गयेले हैं.

जो बात अपनेकू हलकेमेच समझमें आरेली हैं तो उसकू ज्यादा फोकस मत करो. ज्यादा दिमागका धई मत करो. कंगनाके खनकनेका मतलब ये नहीं रहता के कंगनाको कुछ कह्नेका हैं. बिलकुल नहीं भिडू.

कंगनाको खनकानेवाला कोई और होता हैं.

जबतक कोई हाथ हिलाता नहीं कंगना खनकता नहीं इत्ता सिम्पल नॉलेज तो सबको हैं ना. खनकने पर पहले ध्यान कंगनाकी तरफ जाता इत्ताच. बाकी कंगना रह्जाते बाजूमें और शुरू होता भलताच. अब इत्ते पिक्चरा देखनेके बाद इत्ता तो समझ गये ना बावा. फरक सिर्फ इत्ताच हैं के कंगनाकी आवाज बोले तो लव सीन ऐसा बॉलीवूडने सिखायेला हैं.

मगर रामसेकी फिल्ममें कंगना खनकने लगते तो दिमाग काम नही करता ना भाई. तुमकुतो मालूम हैं हॉरर फिल्मोंमें कंगना खनके बोलेतो कांड होनेका फुल चान्स रहता. एकदम लोचेका काम. दो चार लोगोंकु खाली पिली टेन्शन. फिर सेटिंग. फिर हेप्पी एंडिंग. लेकीन तबतक लोगा खाली पिली टेन्शनमें. लेकीन बादमें हॉरर फिल्मोंमेंभी भोत घिसीपिटी कहानी शुरू हो गई. कंगना खनकेंगे, फिर कोई तोभी फुकट के फाकट उसके पीछे पिच्छे जाइंगा और फिर कुछ पुराने जलम वाली पांचट बाता. और फिर वो उसका पिच्छा छोड देंगी.

हॉरर फिल्मोमे कंगना खनके मतलब वो हवेली या बंगला रहनेके लायक नहीं. तुमकु थोडा सायन्सका नॉलेज हुंगा या तुम कोई जादू टोने वाले को दिमाग बेचकर नहीं आये होंगे तो ठीक. फिर तुमको वो जगा रहनेके लायक हैं ऐसाच लगिंगा. मगर तुम थोडे भी whatsapp वाले student हुंगे तो काम तमाम.

कंगना खनकते रहेंगे. तुम फुकटमें परेशान होते रहिंगे.

आखरी बात बोलता अभी. जब भोत डिस्टर्ब हो जाता, मतलब इत्ता डिस्टर्ब की औरताबी परेशान हो जाती आवाजकु तो वो कंगना सीधा ड्रावरमें रख देती.

फिर कोई फंक्शनतक उधरीच रहना पडता अंधेरेमें. खाली पिली तकलीफ देने वाले होंगे तो सोनेके कंगनाभी ड्रावरमें चले जाते हैं.

हे ही वाच भिडू 

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